Prem Chopra Biograph
चलना श्री के सबसे हम संपादन प्रेम चोपडा का जन्म तेईस सितंबर में हुआ करबला हैरानी इस बात की है यह हीरो वाला चेहरा लिए इतना जबरदस्त फ़िल्म कैसे बन गए दरअसल इनका परिवार लाहौर का रहने वाला था पर विभाजन के बाद ये शिमला चले जाएं शिमला में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई की थिएटर भी किया चाहे वह
अंग्रेजी रहा कि हिंदी था कहते है चले जाता वैसे विक्रम बहुत काम का थी आप की कीमत लेता लेकिन जिससे कीमत देता उसका काम जरूर करता हालांकि उनके पिता जी खुद एक बड़ी ऊंची पोस्ट पर थे उनका मानना
था उनका लड़का प्रेमळ आगे जाकर आईएएस बने या फिर डॉक्टर पर जिसे एक बार कलां ने पकड़ लिया वो किसी की सुनता कहाँ है प्रेम चोपडा साहब ने कहा कि मुझे तो थिएटर भी करना है उनके पिता ने कहा कि देखो ये बड़ा हिंसक और प्रोफेशनल हैं क्या कर पाओगे इसमें ऐसा करो पहले ग्रेजुएशन कर लो एक नौकरी पकड़ो
और फिर मुंबई जाओ थोड़ी तयारी के साथ जाओगे तो शायद का मन जाये अपने पिता की बात उन्होंने पानी ब्रज उनकी और मुंबई आकर उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया का सर्कुलेशन डिपार्टमेंट जॉइन कर लिया जहाँ और यह
काम भी बात नहीं संघर्ष काफी बड़ा था इन्हें कोई रोल मिल नहीं रहा था फ़िल्म इंडस्ट्री में जान पहचान भी नहीं है इस बीच हुआ उनके लोकल ट्रेन में ट्रैवल कर रहे थे उनकी मुलाकात एक अजनबी से हुई उसने हाथ छोड़
देगी और पूछा क्या करना चाहते हो उन्होंने कहा कि देख लोग एक पंजाबी पिक्चर है करोगे तो तुम्हारी बात कर देता हूँ लेन चौड़ा उनका पंजाबी सहित एक्टिंग का मौका मिल रहा है कर देता हूँ अजनबी उन्हें ले गया एक
पंजाबी प्रतिशत के पास उन्होंने बतौर हीरो काम किया उस पल में फिर कुछ और फिल्मों में भी बतौर हीरो आए उनमें से एक फ़िल्म रही मैं शादी करने चला मेरी भी होती दुनिया के सामने याचे से अब लोगों को चलना चाहिए
हम लोग चले आये वो लोग हमें ढूँढने होंगे और बतौर हीरोइन की दाल नहीं कर रही थी और उन्होंने अच्छा काम किया था कोई अभी तक नहीं छोड़ी थी तीन महीने की तनख्वाह मीलती जा रही थी इसी तरह गुज़ारा चल रहा था और इसी बीच उन्हें मनोजकुमार साथ ही फ़िल्म शहीद मिली जिसमें उन्होंने शहीद सुखदेव का किरदार निभाया था इस फ़िल्म से इन मूल्यों को हासिल हुई पर अभी भी हालात नहीं था की नौकरी छोड़ सके इसलिए नौकरी में
कायम रहते हुए भी यह फ़िल्म की शूटिंग किया करते थे अब सवाल यह था कि टाइम कैसे निकाला जाए तो बहुत सारे बहाने मारते हैं उनसे एक बहाना यह था यार मेरी खुद की शादी है और पंद्रह दिन के लिए छुट्टी जाती हैं शूटिंग करके वापस आते हैं और लोग मुबारक बाद देते तो ये कहते है की नहीं यार वो शादी दर्शक टूट गई
लड़की एक निजी रिश्ता अधिक नेता माँ बाप को लड़की ढूँढ रहे हैं नहीं वे काम जोश नहीं होश करना होगा इसी तरह से काम चल रहा था ऋषि बीच आई फ़िल्म का जिसने इतनी मकबूलियत दी फिर दोनों पांव रख के चलना सके नौकरी उन्होंने नमस्ते कर दिया दास्तां दिलचस्प ये
prem chopra age
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Prem Chopra Biography | prem chopra age |
चलना श्री के सबसे हम संपादन प्रेम चोपडा का जन्म तेईस सितंबर में हुआ करबला हैरानी इस बात की है यह हीरो वाला चेहरा लिए इतना जबरदस्त फ़िल्म कैसे बन गए दरअसल इनका परिवार लाहौर का रहने वाला था पर विभाजन के बाद ये शिमला चले जाएं शिमला में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई की थिएटर भी किया चाहे वह
अंग्रेजी रहा कि हिंदी था कहते है चले जाता वैसे विक्रम बहुत काम का थी आप की कीमत लेता लेकिन जिससे कीमत देता उसका काम जरूर करता हालांकि उनके पिता जी खुद एक बड़ी ऊंची पोस्ट पर थे उनका मानना
था उनका लड़का प्रेमळ आगे जाकर आईएएस बने या फिर डॉक्टर पर जिसे एक बार कलां ने पकड़ लिया वो किसी की सुनता कहाँ है प्रेम चोपडा साहब ने कहा कि मुझे तो थिएटर भी करना है उनके पिता ने कहा कि देखो ये बड़ा हिंसक और प्रोफेशनल हैं क्या कर पाओगे इसमें ऐसा करो पहले ग्रेजुएशन कर लो एक नौकरी पकड़ो
और फिर मुंबई जाओ थोड़ी तयारी के साथ जाओगे तो शायद का मन जाये अपने पिता की बात उन्होंने पानी ब्रज उनकी और मुंबई आकर उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया का सर्कुलेशन डिपार्टमेंट जॉइन कर लिया जहाँ और यह
काम भी बात नहीं संघर्ष काफी बड़ा था इन्हें कोई रोल मिल नहीं रहा था फ़िल्म इंडस्ट्री में जान पहचान भी नहीं है इस बीच हुआ उनके लोकल ट्रेन में ट्रैवल कर रहे थे उनकी मुलाकात एक अजनबी से हुई उसने हाथ छोड़
देगी और पूछा क्या करना चाहते हो उन्होंने कहा कि देख लोग एक पंजाबी पिक्चर है करोगे तो तुम्हारी बात कर देता हूँ लेन चौड़ा उनका पंजाबी सहित एक्टिंग का मौका मिल रहा है कर देता हूँ अजनबी उन्हें ले गया एक
पंजाबी प्रतिशत के पास उन्होंने बतौर हीरो काम किया उस पल में फिर कुछ और फिल्मों में भी बतौर हीरो आए उनमें से एक फ़िल्म रही मैं शादी करने चला मेरी भी होती दुनिया के सामने याचे से अब लोगों को चलना चाहिए
हम लोग चले आये वो लोग हमें ढूँढने होंगे और बतौर हीरोइन की दाल नहीं कर रही थी और उन्होंने अच्छा काम किया था कोई अभी तक नहीं छोड़ी थी तीन महीने की तनख्वाह मीलती जा रही थी इसी तरह गुज़ारा चल रहा था और इसी बीच उन्हें मनोजकुमार साथ ही फ़िल्म शहीद मिली जिसमें उन्होंने शहीद सुखदेव का किरदार निभाया था इस फ़िल्म से इन मूल्यों को हासिल हुई पर अभी भी हालात नहीं था की नौकरी छोड़ सके इसलिए नौकरी में
कायम रहते हुए भी यह फ़िल्म की शूटिंग किया करते थे अब सवाल यह था कि टाइम कैसे निकाला जाए तो बहुत सारे बहाने मारते हैं उनसे एक बहाना यह था यार मेरी खुद की शादी है और पंद्रह दिन के लिए छुट्टी जाती हैं शूटिंग करके वापस आते हैं और लोग मुबारक बाद देते तो ये कहते है की नहीं यार वो शादी दर्शक टूट गई
लड़की एक निजी रिश्ता अधिक नेता माँ बाप को लड़की ढूँढ रहे हैं नहीं वे काम जोश नहीं होश करना होगा इसी तरह से काम चल रहा था ऋषि बीच आई फ़िल्म का जिसने इतनी मकबूलियत दी फिर दोनों पांव रख के चलना सके नौकरी उन्होंने नमस्ते कर दिया दास्तां दिलचस्प ये
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