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Jagdeep Biography | Biography of jagdeep |
मार्च सन उन्नीस सौ उनतालीस हिंदुस्तान के दादरी इलाक़े में उन्हें हम जानते हैं जबकि के नाम से दूनो ने नपा उन्होंने हमेशा हमें हंसाया है और गौर फरमाते हैं इनकी जिंदगी पर आज मूड में भारत के विभाजन के वक्त जब भी साहब मुंबई आ गए उम्र बहुत छोटी थी मात्र छे या सात इनकी माँ नहीं देखी दू से पहले इनके पिता का
इंतकाल हो गया था रोटी माँ जतिन खाने में खाना पकाकर अपने रहने से लड़कियों को बढ़ाती है और उन्हें स्कूल भेज दी गई है तुमको दोनों की एक टीम ने जांच देखी चिंचपोकली दादर दौर पर यूनिवर्सिटी एक दिन धन्य शक्ति को यहाँ लाया की ओर बच्चे भी तो काम करते हैं वो कहाँ पढ़ाई कर रहे हैं और मेरी माँ नीचे रही है क्योंकि मैं भी इन बच्चों की तरह काम करू उसके बाद उन्होंने अपनी माँ से कही मैं भी और बच्चों की तरह काम करना
चाहता हूँ पढ़ाई लिखाई में क्या रखा है क्या मदद हो रही है मान लक्ष्य की पर जल्दी माने उच्च उत्पन्न नहीं है ना कम एक नीती का अभाव मेरे बावजूद खुशियों के साथ एवे और दूसरे बच्चों की तरह तीन का काम करने लगे
पतंग बनाने लगे साबुन बेचने लगे और एक दिन की किस्मत बदलेगी पाटना इस बारे में अपनाये देवी चटवाल मकान बनावत है हुआ यूं कि सड़क पर जब भी साथ काम किया करते थे वहाँ पे एक आदमी आया जो बच्चों को ढूँढ रहा था वो बच्चे जो फ़िल्म के अंदर काम कर सकें पूरे आठ पैसे और चमकी दमली नहीं करता अब एक
पीढ़ियों के गाने शुक्र है कि हम पीकर आए और काम भी किया था चुपचाप बैठना था उस आदमी ने जगदीप हिसाब से पूछा कि तुम फिल्मों में काम करोगे न ने जब इसने कहा यह क्या होता है क्योंकि कभी फिल्मों देखी
नहीं थी ये तो मस्त रूप से अपनी गरीबी से लड़ने में फ़िल्म कहाँ से देखते उस्ताद ही चक्कर गया उस आदमी ने अब स्टूडियो में ऐक्टिंग करनी होती है जबकि सामने बोला पैसे कितने मिलेंगे उसने कहा तीन रुपये हमारे वहाँ
पार्टनर तीन रुपये सुनकर उनकी बातचीत की गई यह फोरम तयार हुए साध्वी ने कहा कि अरे अगले दिन आ
खेतों में ले जाऊंगा अभी नहीं बहुतेक और अगले रोज़ जब भी साफ स्टूडियो पहुंचे वहाँ पर किमान लेकर पहुंची थी और सीन था की बच्चो का नाटक चल रहा है और दूसरे बच्चे बैठ उसे देख रहे हैं देखने वाले बच्चों में जल्दी
सादी शुमार थे तभी वहाँ पर एक डायलोग आया वो डालो जो कि उर्दू में बोला जा रहा था और कोई बच्चा उर्दू का वह डायलॉग नहीं बोल पा रहा था और जल्दी साहब की मात्रा जवान छोड़ दो फाइन उन्होंने अपने साथ बैठे बच्चे से पूछा कि अगर मैं डालूँगा तो क्या होगा उस बच्चे जवाब दिया कि पैसे ज्यादा मिलेंगे छह रुपये मिल जाएंगे
अंधेरे क्यों क्या खयाल है और उसे रुपये में जल्दी साहब इतना प्रेरित किया
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