AUTHOR

Dk Sapru Biography in Hindi | Tej Sapru Wiki Age Family Wife Biography Son | डीके सप्रू की जीवनी हिंदी में | तेज सप्रू विकी आयु परिवार पत्नी जीवनी बेटा


Dk Sapru Biography in Hindi | Tej Sapru Wiki Age Family Wife Biography Son

डीके सप्रू की जीवनी हिंदी में | तेज सप्रू विकी आयु परिवार पत्नी जीवनी बेटा


Dk Sapru Biography in Hindi | Tej Sapru Wiki Age Family Wife Biography Son  | डीके सप्रू की जीवनी हिंदी में | तेज सप्रू विकी आयु परिवार पत्नी जीवनी बेटा
Dk Sapru Biography in Hindi | Tej Sapru Wiki Age Family Wife Biography Son  | डीके सप्रू की जीवनी हिंदी में | तेज सप्रू विकी
आयु परिवार पत्नी जीवनी बेटा
Dk Sapru Biography in Hindi
ये दास्तां है एक बहुत ही जबरदस्त अभिनेता कि जिन्हें हम सपनो के नाम से जानते हैं हमारी मसला के बड़ा है अधिक आगमन पर मानव चालित कर मंगल आपकी आवाज़ का स्कूल नंबनाए उनका जन्म हुआ जम्मू में तारीख सोलह मार्च सन् उनका परिवार एक बड़ा परिवार था जिसमें चार भाई और दो बहने थी ससुर साह


 अपने माँ बाप की चौथी संतान थी उनका पूरा नाम रहा दया किशन सप्रू लेकिन सपनो के नाम से ही मशहूर हुए कहा खोल दिया इनके वाले डोगरा राज्य के खजांची हुआ करते थे उनके राजा थे उस वक्त महाराजा हरिसिंह इस वजह से इनके परिवार में दो घर थे एक जम्मू में और दूसरा लाहौर में हमारे इलाज से बेहद खुश हुए कल शादी की सालगिरह इस पुलाजवळ आपका नाम सफल साहब की पढ़ाई लिखाई उर्दू और हिंदी माध्यम में हुई


Dk Sapru Biography in Hindi
अंग्रेजी तरह कम पढ़ाई जाती थी और उनकी इच्छा थी ये भी आगे जाकर अंग्रेजी पढ़ सकें और इस तरह से उन्होंने खुद ही अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया और उसकी पढ़ाई था कि सब कुछ आप को बचपन से ही संगीत का भी शौक था जब लाहौर शहर में बड़े हुए तब उन्होंने बतौर कॉन्ट्रैक्ट एक नौकरी पकड़ ली फिर ये जलंधर



कैंट में तकरीबन दो से तीन बरस रहे सुप्पोज आपकी कॉलेज के छात्रों ने कहा कि तुमने हाँ देख सूरत हो दमदार आवाज है क्यों नहीं तुम फिल्मों का हिस्सा बन जाते हो मायके आ गई छोड़ता और इसी खयाल के साथ सफल साहब पुणे चले गए उन्होंने अपने बताया नहीं था ये फ़िल्म का हिस्सा बनने वाले है पुणे पहुँचकर इनकी मुलाकात हुई वी शांताराम शेष फतेहलाल और बाबू राव साहब से यू नो को उस वक्त प्रभात स्टूडियो के मालिक हुआ

Dk Sapru Biography in Hindi
करते थे इनके प्रभाव शुरू की फिल्मों कसाई इसका मतलब यह है क्योंकि हालांकि अगर हमारे पास ताज पर इससे तीन हज़ार रुपए महिना रही है ये वो वक्त था जैसे पूछा कि दोस्ती हुई देव आनंद साहब से गुरुदत्त साहब से और रहमान साहब से ये बात भी गौर करने लायक है देव आनंद साहब ने ससुर साहब की बीवी के साथ बतौर हीरो काम किया था फिर गाना यहाँ मोहन ये वो वक्त था जब उस जमाने में एक बड़े मशहूर अभिनेता हुआ करते


थे जिनका नाम था चंद्र मोहन चंद्रमोहन साहब की आकस्मिक मृत्यु हो गई और उसके बाद यह बात सामने आई ये स्कूल साहब ने तमाम हो गया है जो चंद्रमोहन सामने रहे दोनों ही कश्मीरी पंडित थे पहले का टाइम था यह बात भी हैरान करती है क्योंकि आसिफ साहब उस वक्त फ़िल्म मुगले आजम का निर्माण कर रहे थे जिसके लिए वो अभी

Post a Comment

0 Comments