बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की अनसुनी कहानी | Nawab Siraj Dulla History | Siraj ud-Daulah Biography Life History
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बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की अनसुनी कहानी | Nawab Siraj Dulla History |Siraj ud-Daulah Biography Life History |
भारत के इतिहास की भयंकर युद्ध नवाब सिराजुद्दौला से जुड़े कुछ अनसुने तथ्यों के बारे में बताने जा रहा था साथ ही इतना आज के इस दिन करियर का भी वर्णन करूँगा तो चलिए आज कल लोग शांत बंगाल का इतिहास बदलने वाले प्लास्टिक के युद्ध के बारे में कम लोग ही जानते हैं इस युग में तनक हार के बाद नवाब सिराजुद्दौला
आजाद बंगाल के अंतिम और उनके परिवार के किसी भी सदस्य की महज रहस्य बनकर रह गई है क्या हमने कभी सोचा है कि उनका परिवार जिंदा बच पाया था या नहीं क्या सिराज केवल वंशज इस युद्ध के साथ ही खत्म हो गयी यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिन पर चर्चा जरूरी है तो आगे बात करते हैं बंगाल के सिराजुद्दौला को उनके
परिवार के अनसुने इतिहास के बारे में मेरा मदन मोहन लाल और खाद्य के भरोसे मनसेनना पत्तियों में से एक थे जो प्लासी के युद्ध के ठीक पहले मिर्जा को बुलाए जाने के कारण नाराज थे इसका परिणाम यह हुआ कि मोहन लाल को छोड़कर बाकी की सेनापतियों ने युद्ध में विश्वासघात किया और सिराजुद्दौला युद्ध हार गए उन्हें बंधक
Siraj ud-Daulah Biography Life History
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बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की अनसुनी कहानी | Nawab Siraj Dulla History |Siraj ud-Daulah Biography Life History |
तक बना पढ़ा था किस्मत से सेना पति मोहन लाल इस भीषण युद्ध में भी अपनी जान बचाने में कामयाब रहे वे स्थापित ई में मोहल्ला के कुछ समय कश्मीर में बिताया व्यक्तिगत जीवन में मोहन लाल साम्प्रदायिकता से ऊपर और बहुत वफादार थे नवाब के वफादार सेनापति होने के तौर पर उन्होंने प्लासी की लड़ाई लड़ी लेकिन इतिहास के बहुत कम पन्नों में इसका जिक्र किया गया मधाबी मोहन लाल की बहन थीं जिसे हीरा के नाम से भी जाना
जाता था नवाब सिराज और हीरा के अवैध यौन संबंध होने के कारण ही रानी सिराज के नाजायज पुत्र को जन्म दिया अलीवर्दी खां जोशी उसके पिता थे उन्हें इस बात को की भनक भी नहीं थी पिता की नाराजगी से बचने के लिए सिराज अपने बच्चे को छुपा देते थे पर यह बात अलीवर्दी को पता चल ही गयी उन्होंने अपने बेटे की अजय
Siraj ud-Daulah Biography Life History
संतान को एक घोड़े पर बैठा रस्सी से बांध दिया उन्होंने सोचा था कि जो भी घोड़े को पकड़ेगा वह बच्चे की जिम्मेदारी संभालेगा इस जिम्मेदारी से बचने के चलते सिराज ने अपने पुत्र को उसकी किस्मत के हाथों में छोड़ दिया इस अमानवीय घटना की जानकारी जैसे ही मोहल्ला तक पहुंची वे अपने घोड़े के साथ बच्चे की जान बचाने निकल पड़ा और फिर बच्चे को अपने साथ ले आया मोहल्ला
Nawab Siraj Dulla History
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